पापा पापा चहकता हमारा प्यारा कानू जिसका पूरा नाम करण था जो 5-6 साल का था
पापा पापा ये देखो मेरी नयी स्वेटर ये क्या पिया तुने फिर बचत रुपए में से कानू को स्वेटर दिलाई अरे ये स्वेटर मैंने नही दिलवाई है इसे ये तो..
पापा ये स्वेटर तो दादी मां ने बनाई है
पिया और पिया का पति भरत दोनों चौंककर बोलते दादी मां क्योंकि भरत की मां तो कब की भगवान की प्यारी हो गई थी इसलिए दोनों एक दूसरे को देखते हैं और फिर कानू की तरफ देखकर बोलते हैं बेटा आपको कौनसी दादी मां ने ये स्वेटर दी है
कानू ने अपने मम्मी पापा का हाथ पकड़कर कमरे के बाहर लाता है फिर हॉल की खिड़की की तरफ इशारा करता है पिया और भरत दोनों बाहर देखते हैं सामने बैठी बुढि औरत और कोई नहीं भरत की मां थी
भरत अपनी मां को देखकर आंख नम हो जाती है और कुछ ना कहकर घर से बाहर निकल कर दौड़कर मां के पास जाकर गले लग जाता है और रोने लगता है
भरत की मां सरस्वती भरत को ऐसे गले लगकर एक बार भावुक हो जाती फिर खुद को कमजोर नहीं पड़ने देती है
भरत को अपने से दूर करके कौन हो तुम और तुम मेरे ऐसे कैसे लग रहे हो
मां में भरत आपका बेटा
कौनसा बेटा मेरा बेटा तो आज से चार साल पहले ही मर गया था जब वो मुझे वृद्धाआश्रम छोड़कर आया था उसी दिन उसने ही मुझे कहा था आज के बाद आप मेरी मां नहीं मैं आपका बेटा नही
भरत के पिछे पिया और कानू भी आ जाता है
मां मुझे माफ़ कर दिजिए मैंने जो कुछ ना समझी में किया प्लीज़ मां मुझे माफ़ कर दीजिए
किसे मां कह रहे हो बेटा मैंने अभी तुझे जो कहा सुना नहीं लगता है
पिया भी आगे आकर सरस्वती के पैरों में गिर के मांजी मुझे भी माफ़ कर दीजिए सारी गलती तो मेरी है मैंने ही इनको कहां था कि कानू को लेकर में घर तब ही आएगी जब आ..आप इस घर से जायेगी तो इनको और कोई रास्ता नजर नहीं आया और ये आपको… इतना कहकर पिया जोर जोर से रोने लगती है सरस्वती जी पिया को अपने पैरों के पास से उठाकर कहती हैं तु तो फिर भी दूसरे घर से आयी है तुझे तो क्या कहूं मैं जब मेरे ही कोख से जन्मा बेटा ही मुझे वृद्धा आश्रम छोड़कर आ गया और चार साल होने को आये वापस अपनी मां की खबर भी नहीं पूछी की वो कैसी है मर रही है या जिन्दा है
तेरे पिताजी की जाने के बाद तुझे और तेरी बहन को कैसे पाला है ये मैं जानती थी पर मैंने आज तक तुम दोनों कुछ कहां नहीं ना
तुम दोनों पत्नी पति की खुशी के कारण तुम्हारी बहन ने भी आना छोड़ दिया क्योंकि तुम दोनों लड़ना और सुनाना तो उसे भी नहीं छोड़ा
मां आप घर चलो अब हम वही बैठ कर बातें करते हैं
सरस्वती जी हाथ दिखाकर नहीं मुझे किसी भी अजनबी के घर नहीं जाना है मैं तो सर्दी के मौसम चल रहे थे मैं स्वेटर बुनी हुई थी और ये बच्चा बाहर बिना स्वेटर के गुम रहा था तो मैंने इसे स्वेटर देने आयी थी मुझे ये नहीं पता था कि ये तेरा बेटा है
पिछे खड़ा कानू सब सुन रहा था अपने मम्मी पापा के पास आकर मम्मी मम्मी पापा पापा ये सच में मेरी दादी और आपकी मम्मी है तो ये हमारे साथ क्यूं नहीं रहते हैं पिया और भरत अब बच्चे को क्या बताते कि सरस्वती जी उनके साथ क्यूं नहीं रहती है
बेटा वो ये दूसरे घर रहती है ये घर छोटा है ना इसलिए
नहीं मम्मी आप झूठ बोल रही हो मैंने सब सुना आप दोनों ने दादी को वृद्धा आश्रम छोड़कर रखा है पापा मुझे कभी शादी नहीं करनी है क्योंकि मेरी टिचर ने एक बार बोला था कि हम हमारे बड़ों के साथ जैसा करते हैं फिर उनके बच्चे उनके साथ भी ऐसा करते हैं अगर मैंने शादी की तो फिर ये घर आप दोनों के लिए छोटा रह जायेगा और मेरी पत्नी और मैं भी आप दोनों को घर से निकाल देंगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा इसलिए में शादी ही नहीं करूंगा
भरत और पिया कानू की बात सुनकर और जोर से रोने लगते हैं और पास खड़ी मुंह फेरी सरस्वती जी मुस्कुरा रही थी
कानू सरस्वती जी के पास आकर उनके पास आकर पैर छूकर आप मेरी दादी हो ना
सरस्वती जी हां मैं सर हिला देती है आप की ये स्वेटर मैं हमेशा सम्भाल कर रखूंगा दादी मां और आप मुझे आप कहां रहते हो ये भी बताना मैं रोज स्कूल से आते वक्त आपसे मिलकर जाऊंगा और संडे छुट्टी के दिन मैं आपके साथ खेलने भी आऊंगा
सरस्वती जी कानू को किस करके वहां से वापस वृद्धा आश्रम चली जाती है जहां उनका चार साल का सुख था
समाप्त
मेरी कहानी सिर्फ पाठकों के मनोरंजन के लिए ना तो उनके दिल दूखाने नहीं किसी बात को सच करने को बस पढ़ने के लिए है
आपको मेरी रचना अच्छी लगे तो मुझे जरूर बताएं
धन्यवाद
pooja….