सुनिये कल आप कौनसा शर्ट पहनने वाले हो।
मनीषा जी अलमारी में कपड़े रखते हुए अपने पति विनोद को पूछती है पर विनोद की तरफ कुछ भी जवाब नहीं मिलने पर मनीषा जी अपनी पति की तरफ देखती है
मनीषा विनोद की तरफ आकर विनोद क्या हुआ क्या सोच रहे तुम।
विनोद मनीषा की तरफ देखकर मनीषा तुम्हें याद मैं जब तुम प्रेगनेंट थी तब मैं तुम्हें कहता था कि चाहे बेटा हो या बेटी मैं उसे डॉक्टर ही बनाऊंगा।
जब हमें बेटी हुई तो घर में ऐसे सन्नाटा हो गया जैसै बेटी नहीं होकर कोई गुनाह हो गया हो जब हमारी परी बिटिया बड़ी होने लगी तो धिरे धिरे सब को पसंद आने लगी उसकी प्यारी बोली सब को अपनी और कर लेती फिर भी कहीं ऐसे लोग थे जो हमें कहते थे
ये तो बेटी है आपका डॉक्टर का सपना कौन पूरा करेगा पर मैंने भी उसे यही ये बेटी और मेरा सपना भी यही पूरा करेगी
मैंने परी को अच्छे से पढ़ाया और उसने भी सभी क्लास में नंबर वन से पास हुए हर चीज मैं चाहे वो पढ़ाई हो खेल कूद हो, कूकिंग, नाचना,गाना सब मैं वो नंबर वन रही है
जब परि का 10 के रिजल्ट था तो परि कितना टेंशन में रहती थी जब उसका रिजल्ट आया तो वो अपना नंबर देखकर चौंक गयी
पूरे शहर में नंबर वन आयी थी पता नहीं हमारी परी को मेरे सपने के सारे में कहा से पता चल गया और उसने डाक्टर बनने को चुना
फिर परी बाहर पढ़ने को चली गई सात साल बाहर रहकर आयी
सात साल कैसे निकालें ये हम तीनों ही जानते हैं
और सात साल का लास्ट दिन है कल हमारी परि वापस आ रही हैं जब मैंने उसे पूछा कि तुम बाहर शहर जाकर भी अस्पताल में काम कर सकती थी तब उसने मुझे फोन मैं कहां पापा मैं डाक्टर सिर्फ रुपए कमाने के लिए नही की लोगों की सेवा और मदद के लिए की है
जब मैंने ये सुना तो मेरा सिना गर्व से ऊंचा हो गया था और मैंने जो जमीन 25 साल पहले ली थी अपने बच्चे के डाक्टर बनने पर अस्पताल बनाने के लिए वो जमीन पर आज अस्पताल बन गया है और कल उसका मुहर्त है हमारी परी कल से उस अस्पताल में काम करेंगी
सच में मनीषा मुझे ये सपना लग रहा है
अगले दिन
मनीषा जल्दी करो परी आती ही होगी
हां हां आ रही हूं
लो आ गई मैं चले अब
मनीषा जी ने आज लाल बनारसी साड़ी पहनी थी
मनीषा जी और विनोद अस्पताल पहुंचते हैं वहां देखा सभी गांव वाले परी का स्वागत करने के लिए खड़े थे
एक गाड़ी रुकती है अस्पताल के सामने गाड़ी को देखकर डोल नगाड़े बजने लगते हैं मनीषा जी और विनोद दोनों एक दूसरे को देखते हैं फिर आगे आकर गाड़ी के पास आकर खड़े हो जाते हैं
गाड़ी का दरवाजा खुलता है उसमें एक लड़की निकलती है कुर्ता और जिंस पहनी लड़की और कोई नहीं परी ही होती है परी आगे आकर अपने मां पापा के पैर छूकर आशीर्वाद लेकर गले मिलती है सभी गांव वाले से मिलती है
अस्पताल का रिबन परी अपने पापा और मम्मी के साथ कट करती है
अन्दर आकर परी अपने केबिन की तरफ बढ़ जाती है पीछे खड़ा एक आदमी बोलता है वहां विनोद अस्पताल तो बहुत अच्छी बनाई है और हमारी परी बिटिया ने आज गांव का नाम रोशन कर दिया है
परि ये सब सुन रही होती हैं परि केबिन से बाहर आती है
काकोसा आज मैं जो कुछ भी हू अपने मां पापा की वजह से हूं आप सब ने तो मेरे होते ही मेरे पापा को ये बोल दिया की उनका सपना कौन पूरा करेगा
क्या सपना सिर्फ बेटा पूरा करते हैं? बेटी नहीं?
एक बात बताइए काकोसा आपका सपना भी तो था ना मोहित भाई को इंजिनियर बनाने का पर वो तो शराब की गंदी लत लगा ली और घर से भागकर किसी लड़की से शादी करके आप सब से अलग रहे रहे है ना अब
क्या मां बाप का सपना सिर्फ बेटा ही पूरा करता नहीं बेटी भी अपने मां बाप का सपना पूरा कर सकती हैं अगर कोई उसे स्पोर्ट करें तो बेटी कुछ भी कर सकती हैं
माफ़ कर दो बिटिया हम सब ने बहुत ग़लत बोला था उस समय पर अब हमारी आंख खुल चुकी है अब हम कभी बेटा और बेटी में अन्तर नहीं करेंगे
चलो भाई ये सब छोड़ो और खुशियां मनाओ विनोद जी आगे आकर माहौल को हल्का करते हैं
समाप्त
पूजा गोयल