शर्मा सिस्टर्स-संघर्ष भरा जीवन 18 | sharma sisters Sangharsh bhara jeevan 18

एकता किचन में काढ़ा बना रही होती हैं। उसके चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही थी। एकता काढा को उबलने के लिए गैस पर रखकर बाहर आती है।

अनु की तरफ आकर उसके सर पर हाथ रखती है। प्रियंका लगातार उसकी पट्टी कर रही थी।

एकता अनु के बाल में हाथ फेरने लगती है। अनु सुन रही हो हमारी बात।

अनु की आंख बन्द थी वो आधी बेहोश हो गई थी बुखार की वजह से।‌

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एकता किचन में जाकर काढ़े को गिलास में छानकर लाती है। बाहर आकर काढ़े को टेबल पर रखकर खुद अनु के सर को ऊपर करके उसके पीछे बैठ जाती है। अनु का सर अपनी गोद में ले लेती है।

एकता अनु के मुंह में स्पून से काढ़ा पिला रही थी। काढ़ा पिलाने के बाद उसे वापस वैसे ही सुला देती है।
शर्मा सिस्टर्स-संघर्ष भरा जीवन 17 | sharma sisters Sangharsh bhara jeevan 17

प्रियंका को पट्टी करने से रोकती है। प्रियु बेटा आप पढ़ाई करो अब यह काढ़ा अनु का बुखार उतार देगा।

प्रियु हां मैं सर हिला कर अन्दर चली जाती है।

अविका जी आप हमें साफ साफ कहिए ना क्या कहना चाहती है आप हमें?

अविश जी हम यह कहना चाहते हैं अगर पापा नहीं माने तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं। क्योंकि हमारे लिए हमारे पापा से बढ़कर कोई नहीं है।‌

प्यार भी नहीं है आपके पापा से बढ़कर? अविश अविका की तरफ देखकर बोलता है

अविश जी आप समझिए हम लड़कीयों को प्यार करने में इसलिए ही तो डर लगता है कहीं उनका प्यार छूट ना जाए  उसके परिवार की वजह से।

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अविश का चेहरा उतर जाता है।‌ वो अविका की तरफ देखकर अविका जी हम आपसे बिना नहीं रह सकते हैं। क्यों हमने आपसे सच्चा प्यार किया है। जो आपको जीवन में बहुत कम ही मिलेगा।

अविश जी तो क्या हम आपसे सच्चा प्यार नहीं करते?

वो सब हम नहीं जानते हैं अविका जी इतना कहकर अविश वहां से उठकर चला जाता है।

अविका के आंख में आसूं आने लगते हैं। वो अपने आंसू पोंछ कर बाहर जाने लगती है।

अनु की आंख धीरे धीरे खुलने लगती है। एकता उसके सर पर हाथ फेरती है।‌ अनु अपनी आंख खोलकर सर पर हाथ रखती है जो बहुत भारी लग रहा था।

एकता मेरा सर इतना भरी क्यों लग रहा है? शरीर दुःख रहा है आज मेरा पूरा।

एकता उसके सर को दबाते हुए। अनु तुझे बुखार था इसलिए तेरा सर और शरीर में दर्द है। तु चिंता मत कर मैंने तुझे काढ़ा पिला दिया है उसे सब ठीक हो जाएगा।

अनु आधी आंख खोले ही उबाकाए करती हुई। यह कब पिला दिया तुने मुझे काढ़ा तभी मैं सोचु मेरी जीभ में यह कड़वा क्या लग रहा है।

एकता आंख दिखाती हुई अनु…

यार एकता अब तु चालू मत हो यार मेरा सर दर्द हो रहा है।‌

अनु तु एक काम कर तु कमरे में चल और वहां आराम कर तु बाहर सोई है फिर पापा कहां बैठेंगे अन्दर चल तू।

एकता अनु को सहारा देकर उठाती है और उसे अन्दर लेकर जाती है।

अतुल जी अभी भी छत पर खड़े थे। उन्हें अपनी चारों बेटियों की चिंता थी उनके जाने के बाद वो कैसे रहेगी?

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अतुल जी को फोन बजता है। राजेश जी का नंबर देखकर मुस्कराते हुए फोन उठाते हैं।‌

हां बोल राजेश कैसे याद किया आज?

अतुल वो में कह रहा था उस दिन बीत हुई ना घर के लिए तुम लोग आ रहे हो क्या यहा बीकानेर?

राजेश अभी तक मैंने बेटियों से बात नहीं की है और ना ही मेरे पास इतने रूपए है मैं वो घर खरीद सकूं। अतुल जी सकोच भाव से बोलते हैं।

अरे अतुल हम दोनों के बीच रूपए की बात कब से आ गई अगर उस दिन भाभी नहीं होती तो मुझे भी मेरा घर और वो दुकान नहीं मिलती। तेरे घर के बहुत अहसान है मुझ पर।

अतुल जी मुस्कराने लगते हैं। राजेश तुम इतनी साल पुरानी बात क्यों लेकर आया है अब वो बात कब की गई?

अतुल तु रूपए की बात ला सकता है मैं तेरे अहसान नहीं ला सकता?

प्रियंका कमरे में पढ़ रही थी। अनु को आते देख वो वहां से उठकर अनु को एकता की मदद से सुला देती है। एकता प्रियंका की तरफ देखकर सॉरी प्रियु बेटा आपको बार बार हम पढ़ाई में परेशान कर रहे हैं।

दीदी इसमें आप क्यों सॉरी बोल रहे हैं।‌ अनु दीदी के ठीक होने के बाद हम उनसे माफी मंगवाएंगे।

प्रियंका की बात सुनकर एकता हंसने लगती है।

राजेश मैने अभी तक बच्चियों से बात की नहीं है अगर वो सब हां बोलेगी तो मैं वहां आ जाऊंगा।


अगले भाग में

कैसा लगा आज का भाग जरूर बताये और लाईक समीक्षा जरुर दे।

धन्यवाद

पूजा गोयल (kahanisangrah.in)

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