एक पिंक कलर से रंगा हुआ कमरा और चारो तरफ पिंक और रेड कलर के टेडी बियर रखें हुए। एक बड़ा सा पलंग लगा हुआ। जहां पूरा चदर ओढ़ कर कोई सो रहा था।
ईशा बेटा उठ जा देख सुबह हो गई और तु अभी तक चदर ओढ़ कर सो रही है। ममता जी ईशा के कमरे में आकर सभी पर्दे को हटाकर ईशा को उठने के लिए आवाज देती है।
इस लड़की का क्या होगा पता नहीं कैसे ससुराल में रहेगी यह कुछ महीने में शादी है। पर यह आराम से सो रही है। ईशा बेटा उठ अब तुझे कॉलेज नहीं जाना क्या? जिया इंतजार कर रही है नीचे।
चदर में आलस्य लेती हुई अपने हाथ बाहर निकालती है। जो गोरे दुधिया रंग के होते हैं। फिर अपने चेहरे से थोड़ा चदर हटाती है। और उठकर बैठ जाती है।
दुधिया कलर का चेहरा, बड़ी बड़ी काली आंख, कमर तक लेहराते बाल तीखे नैन नक्श।
क्या हुआ मां आप हर समय मेरी शादी की बात क्यों लेकर आती हो। आपके कहने से मैंने रसोई में भी काम करना सीख लिया है। फिर भी आप।
ममता जी ईशा के पास बैठकर बेटा हम लोग इतने पैसों वाले नहीं हैं। हम सिर्फ अपनी बेटी और उसके संस्कार ही लड़के वाले को दे रहे हैं। अब उसमें भी कमी रह गई तो…ममता जी ईशा के गाल पर अपना हाथ रखकर बेटा अपने मां बाप का सिर कभी मत झुकने देना।
ईशा की आंख नम हो जाती है। वो ममता जी के कस कर गले से लग जाती है। मां आपको लगता है। मैं आपका और पापा का सिर झुकाने दुगी। आप लोगों ने तो मुझे नई जिंदगी दी है। उस दीन अगर आप दोनों नहीं होते तो मैं कभी जी नहीं पाती।
ममता जी ईशा की और अपनी आंख पोंछ कर चल अब जल्दी तैयार हो जा। अगर तेरे पापा को पता चला कि हम मां बेटी फिर से सुबह सुबह रोने बैठ गए तो वो फिर से शुरू हो जाएंगे।
ममता जी और ईशा दोनों हंस पड़ते हैं। ईशा नहाने चली जाती है। ममता जी ईशा के कमरे से बाहर आकर किचन की तरफ चली जाती है।
एक छोटे से घर में जिसमें चार कमरे और एक छोटा किचन पास में छोटा सा पूजा घर और सिढियो के पास थोड़ा बड़ा आंगन था। जिसमें सोफे लगे हुए थे। और घर को अच्छे से डेकोरेट किया हुआ था। यह सब ईशा ने खुद किया था।
सोफ़े पर आलोक जी और अभिलाष जी बैठे बातें कर रहे होते हैं। अभिलाष वो कपड़ों का नया लुक आने वाला था। तुमने आर्डर दिया कि नहीं और वो कल हमारा एक पमेंट भी आने वाला था। क्या हुआ उसका?
भईया पेमेंट आ गया और वो मैंने ईशा बेटी के नाम जमा भी करवा दिया और वो कपड़ों का आर्डर कब का दे दिया। एक दो दिन में आ जाएगा।
अरे आप दोनों भाई को घर में ही काम की बात सूझती है क्या? अनिता जी और ममता जी दोनों चाय नाश्ता लेकर आती हुई बोलती है।
ममता जी ने सिंपल साड़ी पहनी हुई थी। और अनिता जी सिंपल जींस और टॉप में रहती थी।
अब क्या करें हमारी पत्नियां हमें बोलने ही नहीं देती तो हम भाई को काम की बात कर लेते हैं। अभिलाष जी हंसते हुए बोलते हैं।
जिसमें अनिता जी और ममता जी मुस्करा जाती है। अनिता चाय नाश्ता परोसती हैं।
इतने में जिया चिल्लाती हुई आती है। अरे ईशा महारानी अभी तक तैयार नहीं हुई ना तु। पता नहीं तेरा क्या होगा। तु इंसान भुल से बनकर आ गई है। तुझे तो पशु होना चाहिए था। तु कभी समय पर तैयार नहीं मिली आज तक।
जिया जोर जोर से चिल्लाती हुई बोली जा रही थी। ऊपर ईशा सब सुन रही थी। पर उसे पता था। जिया को कैसे मनाना है। इसलिए वो कुछ नहीं बोली।
जिया बेटा यह लो नाश्ता करो आज गरमा गरम पोहा बनाया है मैंने अनिता जी जिया को प्लेट में पोहा निकालकर देती है।
नहीं आंटी मैं अभी अभी नाश्ता करके आई हूं।
अगले भाग में
कैसा लगा आज का भाग जरूर बताये और समीक्षा जरुर दे
धन्यवाद
Pooja….