ईशा उस लड़के की तरफ देखती है। हाथ में काला बैड बाधा था। और बाल घुंघराले थे। पर शक्ल नहीं देख पाती है। क्योंकि ईशा की तरफ उसकी पिठ होती है।
ईशा अपना मुंह घुमाकर लगता है यही रमन सर है। आज तो आप बचने से रहे रमन सर।
जिया अपनी कमरे की खिड़की से जागती है। उसकी खिड़की घर के बाहर के रास्ते पर थी और थोड़ी ऊंचाई पर थी।
जिया अपने कबर्ड से दो-तीन चदर निकालती है। और सब को को गांठ लगाकर एक कर लेती है। फिर चंद्र का एक साइड पलंग पर बांध कर दूसरा हिस्सा बारी से नीचे लटका देती है। और धीरे धीरे करके चदर की सहायता से नीचे उतरने लगती है।
जिया नीचे उतरकर अपने कपड़े साफ करती है। अचानक उसकी नज़र अन्दर आते सौरभ जी पर जाती है। सौरभ जी फोन पर लगे होते हैं इसलिए उनका ध्यान जिया पर नहीं जाता है। जिया सौरभ जी को देखकर पास पड़ा गमले की पिछे छुप जाती है। सौरभ जी बात करते हुए घर में चले जाते हैं। जिया अन्दर जाते सौरभ जी को देखकर सांस लेती है।
उफ्फ अच्छा हुआ पापा ने मुझे नहीं देखा नहीं तो मां और पापा सवाल पूछ पूछ कर मेरी हालत खराब कर देते। अरे मैं भी क्या यहां बातें मैं लगी हूं। मुझे तो ईशा का पता लगाना था। इतना कहकर जिया भागकर रोड़ साइड आती है। रोड के किनारे उसका एक फ्रेंड स्कूटी लेकर खडा था।
जिया जल्दी से उसके पास आती है। आदित्य गाड़ी सही है ना कुछ गड़बड़ तो नहीं है ना कुछ भी तेरी गाड़ी की वजह से परेशानी हुई ना तो… तो मैं तेरी कॉलेज मैं क्या करूंगी याद रखना।
आदित्य जिया कि बात सुनकर डर जाता है। और उसकी तरफ देखकर जिया गाड़ी में कोई परेशानी नहीं होगी। पर तु जा कहा रही है और तेरी गाड़ी कहा है और आज तेरे ईशा भी नहीं बता तो शुरू कहां जा रही है।
जिया आदित्य के कान खिंच कर देख बेटा मैं जहा जा रही हूं ना मुझे भी नहीं पता है बस इतना पता है आज मैं समय पर वहां नहीं पहुंची तो बहुत कुछ बुरा हो जाएगा। और सुन यह बात मेरे या ईशा के घर पता चली तो अगली बार तू गाड़ी चलाने लायक नहीं बचेगा।
आदित्य डर जाता है। और डर के मारे हां मैं सर हिला देता है। हा में किसी को नहीं बताऊगा चिंता मत कर।
आदित्य जिया और ईशा का कॉलेज दोस्त होता है। आदित्य को फर्स्ट समय जिया से प्यार हो गया था। उसने एक बार प्रपोज करके देखा जिया को पर उसके बाद वो तीन महीने स्कूल नहीं जा पाया क्योंकि उसके पैर फेक्चर हो गया था। जिया की मार की वजह से। उसके बाद आदित्य ने जिया को बहन मानकर राखी बंधवानी सही समझा।
आदित्य अपने कान को मसलता हुआ। यह लड़की मेरी शरीर को मारकर ही जाती है। कभी पैर कभी कान से भगवान यह दोनों किसी मुश्किल मैं ना फंसे और ना मुझे फंसाए।
जिया स्कूटी को सड़क पर दौडाती है। और अपने कान में लगा ब्लूटूथ से ईशा को फोन करती है। पर ईशा का फोन की रिंग जा रही थी पर उठा नहीं रही थी। जिया बहुत परेशान हो जाती है। आज इस ईशा की बच्ची ने मुझे परेशान करके रखा है।
ईशा अस्पताल में ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ती है। कमरे में एक नर्स ईशा को इंजेक्शन लगा रही होती हैं। ईशा उस नर्स का हाथ पकड़ लेती है। ज्योति बेहोश हुई होती हैं। वो नर्स ईशा को देखकर डर जाती है। और ईशा को धक्का देकर बाहर भाग जाती है।
ईशा भी उसके पीछे भागती हैं। पर वो नर्स पकड़ में नहीं आती है। ईशा डाक्टर को बुला कर लाती है। डाक्टर दवाई चैक करते हैं। यह तो इस बच्ची के शरीर के लिए काम की नहीं थी अगर यह दवाई इसे दि जाती तो यह मौत के मुंह में चली जाती। ईशा यह सुनकर सुन्न रह जाती है।
जिया अपनी स्कूटी एनजीओ के बाहर पार्क करती है। और अन्दर जाने लगती है। पर गार्ड उसे रोक लेता है। जिया गार्ड को देखकर अकंल मुझे अन्दर जाना है।
अगले भाग में
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धन्यवाद
Pooja….