अनिता किचन से बाहर आती है। आलोक जी को आते देख भाईसाहब आप अनिता के भाईसाहब बोलने पर ममता जी आंख खोलकर देखती है। आलोक जी को देखकर ममता जी आप कब आए?
आलोक जी बस अभी आया ही हूं।
आलोक जी वही सोफे पर बैठ जाते हैं। अनिता जी उन्हें पानी लाकर देती है। ममता जी आलोक जी की तरफ देखकर अब हमारी ईशा बिटिया कैसी है?
आलोक हां मैं सर हिलाते हुए। अब वो पहले से बेहतर है तुम चिंता मत करो। हमारी ईशु को भगवान कुछ नहीं होने देंगे।
ममता जी आलोक जी की तरफ ईशा के पास अस्पताल में कौन है फिर? राहुल है ईशा के पास और जिया भी जाने वाली है उसके पास राहुल ने कहा है वो सम्भाल लेगा इसलिए मैं घर आ गया।
ममता जी अनिता की तरफ देखती है। फिर आलोक जी की तरफ देखती हुई। दोनों बहन भाई मैं खून का रिश्ता ना होते हुए भी पूरी फ़र्ज़ से निभाते हैं। सच में ईशा बहुत नशीब वाली है उसे राहुल जैसा भाई मिला है।
इंस्पेक्टर अस्पताल में आकर सबसे पूछताछ करता है। पर उसे कोई सबूत नहीं मिलता है। अचानक इंस्पेक्टर की नजर आई सी यू के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे पर जाती है। डॉक्टर से पूछ कर उसकी फोटौज वाली जगह जाते हैं।
इंस्पेक्टर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज कम्प्यूटर में देखते हैं। राहुल भी उनके साथ होता है। आई सी यू के बाहर दो हवलदार खड़े कर दिए जाते हैं। इंस्पेक्टर फुटेज में वो लड़की देखकर उसकी फोट़ो हवलदार को निकालने को कह देते हैं। यह सुशिला खुद नहीं होती है वो किसी और से यह काम करवा रही होती हैं।
राघव अपने कमरे में बैठा लैपटॉप चला रहा था। अचानक उसे ईशा रिल की तरह दिखाई देने लगी थी। उसके गाड़ी से टक्कराना उसका चिढ़ना सब उसे याद आने लगा था। राघव मन में सोचते हुए क्यों मुझे आज पहली बार किसी लड़की की इतनी परवाह हो रही है? पता नहीं बार बार बस उसी का चेहरा दिखाई दे रहा है। कौन है वो? मुझे पता लगवाना ही होगा।
इंस्पेक्टर ज्योति के पास आकर उससे थोड़े नरमाई से पूछताछ करते हैं। और रमन और सुशिला के खिलाफ सबूत इकट्ठा के लिए ज्योति की बात को मोबाईल मैं रिकोर्ड भी कर लेते हैं।
ज्योति इंस्पेक्टर को सब कुछ बता देंती है।
जिया राहुल के लिए खाना लेकर आती है। वो अस्पताल में पुलिस देखकर राहुल की तरफ इशारा करके पूछती है। राहुल उसे नर्स वाली बात बता देता है। जिया यह सुनकर चौंक जाती है। अभी भी ईशा पर खतरा बना हुआ है।
राघव आशा जी के कमरे की तरफ आता है। आशा जी अपने अलमारी में कुछ कर रही थी। राघव आशा जी का दरवाजा खटखटाता है। दरवाजा खुला था। आशा जी दरवाजे की तरफ देखकर अरे राघव बेटा तुम आओ ना बाहर क्यों खड़े हो।
क्या हुआ बेटा? अपनी मां से बात शेयर करना बुल गए क्या? जब तुम छोटे थे तब हमें कोई भी बात नहीं छुपाते थे तुम हर बात शेयर करना तुम्हारा पहला काम होता था। हमे पता है अब तुम बड़े हो गए हो पर इतने भी नहीं की हमसे बात ना कर सको।
राघव आशा जी की तरफ देखकर मां वो कल रात को इतना कहकर राघव आशा जी को कल रात वाली बात बता देता हैं। आशा जी यह सुनकर झटका लगता है। हे भगवान यह तुम क्या कह रहे हो।
आशा जी मन में सोचती हुई कहीं ईशा और ज्योति तो राघव को नहीं मिली रात को हां वही दोनों होगी इंस्पेक्टर ने भी वही जगह बताई थी।
आशा जी मन में ही भगवान का शुक्रिया करती हुईं थैंक्यू भगवान हमसे ही बुरा काम हुआ पर हमारे बेटे की वजह से उन दोनों को समय पर अस्पताल पहुंचा दिया थैंक्यू आप सब का।
राहुल जिया की तरफ देखकर जिया मैं बड़े पापा को क्या जवाब दूंगा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है अगर ईशा को कुछ हो जाता तो मैं कैसे उन्हें मुंह दिखाता। इतना कहकर राहुल रोने लगता है।
जिया के आंख से भी आंसू बहने लगते हैं। जिया राहुल के कंधे पर हाथ रखकर उसे चुप होने को बोलती है।
अगले भाग में
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धन्यवाद
पूजा गोयल…..