ईशा तू रो क्यों रही हैं?
व..वो..मैं ईशा इतना ही बोलती है। फिर सोचने लगती है। अगर मैंने जिया को सब बताता अवि के साथ फोन पर जो बात हुई है। उसकी वजह से मैं रो रही हूं तो वो सब को बता देंगी। इसी बात के कारण कहीं अवि भी सबको सच नहीं नहीं मुझे नहीं बताना चाहिए। ईशा यह लास्ट में आवाज निकल जाती है।
क्या नहीं नहीं क्या नहीं बताना चाहिए? बोल ईशु क्या हुआ है।
जिया ईशा के दोनों हाथ अपने हाथ में लेकर पूछती है।
वो जिया मैने बुरा सपना देखा कि मैं अपनी नौकरी के बारे में सब बताती हूं। घर वाले नहीं मानते हैं। इसलिए मैं बोल रही थी। नहीं नहीं बताना चाहिए। ईशा अपनी आवाज थोड़ी धीरे और थोड़ा डरती हुई बोलती है।
जिया को शक होता है। ईशा उससे कुछ छुपा रही है। पर क्या?
जिया ईशा को शक भरी नजर से देखकर ईशा तु सच कह रही है ना। सच में तु इसी बात पर रो रही थी। इतनी सी बात पर तु रो तो नहीं सकती।
हां जिया में सच कह रही हूं। और वो… इतना ही बोलती है। इतने में निचे ममता जी और अनिता जी की आवाज आ जाती है। ईशा बेटा नीचे आना तुझे कुछ दिखाना है।
जी मां आई।
ईशा एक लंबी सांस लेती है। फिर जिया की तरफ देखकर चल नीचे चलते हैं। मां और चाची बुला रही हैं। ईशा उठकर नीचे की तरफ आ जाती है। जिया वही बैठी ईशा को नाम लेती है। पर ईशा कमरे से निकल जाती है।
ईशु मुझे पता है। उस अवि नाम का ग्रह को कैसे ठीक करना है। वो ही तुझे परेशान कर रहा है। आज तु उसी की वजह से रो रही थी। तु नहीं बताएगी पर इतने साल तो हो गए हैं तेरे साथ रहते तेरी हर बात जान सकु में। जिया भी कमरे से निकल कर ईशा के साथ नीचे आ जाती है।
नीचे अनिता जी चाय बनाकर लाती है। ममता जी समान को हिसाब कर रही होती हैं। जिया और ईशा दोनों नीचे आते हैं। अनिता जी सबके लिए चाय बनाकर लाती है।
जिया बेटा तु अब आई? अनिता जी जिया को देखकर पूछती है।
आंटी मैं बस थोड़ी देर पहले ही आई थी। वो ईशु से नोट्स लेना था।
अच्छा। चाय पिएगी?
नहीं आंटी।
नहीं क्यों नहीं मुझे पता है। तेरी चाय कितनी पसंद है। तेरी मम्मी बताती है तु खाने के बिना यह सकती है पर चाय के बिना नहीं।
जिया हंसने लगती है। साथ ईशा भी।
जिया ईशा की तरफ देखकर फिर अपना मुंह घुमा लेती है। ईशा को पता था। जिया उसे नाराज हो गई है। पर यह नाराजगी ज्यादा नहीं टिकेगी यह भी पता था उसे।
ममता जी ईशा को देखकर ईशा बेटा यह मैंने थोड़ा तुम्हारी शादी का सम्मान खरीदा है। ईशा सम्मान देखकर।
मां मेरी शादी में इतना सब सम्मान मां अवि के घरवालों ने तो दहेज मना किया था लेने को फिर यह सब?
ममता जी और अनिता जी दोनों एक दूसरे को देखने लगती है। दोनों को टेंशन होने लगती है। ईशा को क्या बताएं।
पर मैन दरवाजे से आवाज आती है। बेटी को खाली हाथ बिदा थोड़ी करेंगे हम। यह आवाज आलोक जी की होती है।
आलोक जी अन्दर आकर ईशा के पास आते हैं। बेटा भगवान की कृपा से बेटी पाली है हमने तो फिर उनकी इतनी कृपा तो है कि हम खाली हाथ बिदा नहीं कर सकते हैं। जितना हमसे होगा उतना हम करेंगे ना।
ईशा की आंख नम हो जाती है। साथ में आलोक जी की भी। ईशा आलोक जी के गले लग जाती है। ममता जी की आंख भी नम हो जाती है। नमी आंख में आने लगती है। पर वो धिरे से पोंछ लेती है।
अच्छा अब यह सब आंसू आप बिदाई के लिए बचा कर रखीए भाईसाहब अनिता जी बोलती है।
ईशा आलोक जी से अलग होती हैं। आलोक जी ईशा के सर पर अपना हाथ रखकर खुश रहो हमेशा। और अपने कमरे में चले जाते हैं।
ईशा वहीं खड़ी होती है। जिया की आंख भी नम होने लगती है। पर वो अपने आप को सम्भाल लेती है।
जिया बेटा ईशा की शादी में डांस का क्या सोच कर रखा है तुने? अनिता जी माहौल हल्का करने के लिए बोलती है।
आंटी वो तो संगीत के दिन ही पता चलेगा आपको।
इतना कहकर जिया अपने घर की तरफ चली जाती है।
यह लड़की भी ना ईशा जिया को जाते हुए देख मुस्कुराती हुई बोलती है।
अगले भाग में
कैसा लगा आज का भाग जरूर बताये और समीक्षा जरुर दे
धन्यवाद
Pooja…