सुबह का सूरज निकल चुका था। ईशा राघव के कमरे में पलंग के सहारे लेकर नीचे सो रही होती हैं। ईशा की आंख खुलती हैं। उठकर देखती है वो अपने कमरे में नहीं थी अचानक उसे कल वाला सब याद आने लगता है।
ईशा का फोन बजता है। नंबर देखकर राहुल का होता है। ईशा की आंख से नमी निकल जाती है। ईशा फोन उठाती है हैलो!
राहुल और बाकी सब ईशा के फोन पर आवाज सुनकर इमोशनल हो जाते हैं। ईशु कैसी है बेटा तु? अनिता जी ईशा को पूछती है।
ठीक हूं चाची आप सब कैसे हैं? मां और पापा कैसे हैं? ममता जी और आलोक जी दोनों एक दूसरे को देखते हैं मन में सोचते हुए ईशा को अभी भी हमारी चिंता है उसके साथ इतना सब कुछ हो गया।
ईशा बेटा मैं और तुम्हारी मां दोनों सही है। बेटा वहां पर तेरे लिए सब सही है ना? तुझे कोई कुछ बोले तो तु सामने कुछ मत बोलना बेटा वो घर अब तुम्हारा परिवार भी तुम्हारा है अब।
ईशा की आंख नम बह निकलती है पर आवाज सही राय हां पापा आप चिंता मत कीजिए मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगी जिसे आप हर्ट हो।
ईशु अब हम फोन रखते हैं तु अपना ध्यान रखना राहुल बोलता है।
ईशा हम्म करके फोन रख देती है। ईशा अपने आंसू पोंछ कर कल आशा जी ने जो बैग दिया उसमै से साड़ी निकालती है। और बाथरूम में चली जाती है। राघव अपने कमरे में नहीं था रात से ही वो कमरे में नहीं था।
आशा जी अपने कमरे से निकलकर आती है। उनका फोन बजता है। नंबर देखकर वो समझ जाती है। हां बोल आशा जी के किसी करीबी दोस्त का फोन होता है। जिसे पता चलता है। राघव शादी कर ली इसलिए थोड़ा नमक मिर्च लगाने के लिए फोन किया था। पर आशा जी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था वो उसका सभ्भाव जाती थी।
ईशा बाथरूम से नहाकर आती है। रेड कलर की साड़ी पहने मैचिंग ब्लाऊज। पल्लू एक साइड लगाया हुआ था। बाल से पानी टपक रहा था। ईशा आईने के सामने आती है। हाथ में भरी चुड़ियों को वैसे ही रखा था। माथे पर बिंदी लगाती है। सिंदूर देखकर उसे कल राघव ने सिंदूर लगाना याद आ जाता है।
ईशा मांग भरती है। ईशा कमरे से निकलकर नीचे आती है। ईशा घर के चारों तरफ नजर दौडाती है। घर बहुत बड़ा था। ईशा मन में बोलती है यह घर बहुत बड़ा है हमारे घर जैसे तीन घर बन जाए उतना बड़ा है।
ईशा नीचे आकर देखती है। कोई नहीं था। ईशा को पता नहीं था उसे क्या करना है। ईशा काम करने वाले एक काका से मन्दिर के बारे में पूछती है। वो काका गर्ग परिवार के बहुत पुराने थे इसलिए वो वहीं रहते थे।
काका ईशा को मन्दिर का रास्ता बताते हैं। ईशा घर के मन्दिर आकर देखता है। मन्दिर साफ सुथरा था। पर थोड़ा समान इधर उधर था। ईशा मन्दिर की सफाई करने लगती है। आशा जी ऊपर खड़े देख रहे होते हैं मुस्कराते हुए। उसकी नजर उतारते हैं।
मधु जी मन्दिर में आती है। ईशा मधु जी को देखकर उसके पैर छूती है। पर मधु जी बिच में ही बस बस बहुत हुआ पता नहीं कहां से भाभीसा उठाकर लेकर आ गई तुम्हें। इतना कहकर वहां से चली जाती है। ईशा की आंख से नमी बहने लगती है।
आशा जी ऊपर खड़े यह सब सुन लेती है। आशा जी नीचे आती है। ईशा मन्दिर में फूलों से मन्दिर सजाती है। कृष्ण भगवान को तैयार करती है। आशा जी नीचे आकर मन्दिर आती है। मन्दिर को साफ देखकर आज तक यह मन्दिर मेरे और राघव के पापा ने ही साफ और सजाया है। उससे पहले और किसने नहीं पर आज तुम पहली हो जिसने हमारे आने से पहले ही मन्दिर को इतना अच्छा से सजाया है। खुश रहो बेटा आशा जी ईशा के गाल पर हाथ रखकर बोलती है।
ईशा इतने दिन आशा जी के साथ रहकर इतना तो समझ जाती है वो बहुत अच्छी है। ईशा आशा जी के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है। आशा जी और ईशा दोनों आरती करते हैं।
आशा जी ईशा को अपने पास बैठाकर बेटा किसी की बात का बुरा मत मानना। अचानक यह सब हुआ है इसलिए अपनाने में तुझे और उन सब को वक्त लगेगा।
ईशा हां मैं सर हिला देती है। आशा जी ईशा को ईशा बेटा राघव उठ गया हो तो उसे नीचे भेज देना।
ईशा राघव का सुनकर ध्यान आता है राघव तो कमरे में है ही नहीं। ईशा आशा जी की तरफ देखकर वो मां राघव कमरे में नही है।
आशा जी समझ जाती है। दोनों के बीच रात को कुछ बात हुई पर अभी उनको पता था। उन दोनों को थोड़ा वक्त चाहिए तभी दूरियां हटेंगी।
हिमा अपने कमरे से निकलकर गुस्से से बाहर आती है। आशा जी की तरफ आकर बड़ी मां यह आपने क्या किया? आप राघव भाई की शादी कराके लेकर आ गए। ऐसे तो राघव भाई मुझे बोलते हैं गर्ग परिवार की नाक मत कटवाना फिर उन्होंने क्या किया है?
आशा जी यह सुनकर हिमा की तरफ देखकर हिमा जबान सम्भाल कर बात करो वो तुम्हारा बड़ा भाई हैं।
वहां बड़ी मां वो कुछ भी करे तो बड़े हैं समझदार हैं और मैं कुछ भी करू तो घर की नाक कट जाती है। पता नहीं किस किचड़ को लेकर आ गए हैं वो हमारे घर। मुझे सब पता चल गया है। वो लड़की को क्यों और कैसे छोड़ा गया है?
आशा जी हिमा की तरफ आकर गुस्से से हिमा तुम अपनी लाईन क्रोस मत करो। याद रखना वो तुम्हारी भाभी है अब तुम्हारे बड़े भाई की पत्नी और इस परिवार की बहू है अब वो।
हिमा पैर पटक कर अन्दर चली जाती है। ईशा ऊपर खड़ी यह सब सुन लेती है। ईशा भागकर अपने कमरे में जाकर रोने लगती है। उसका मन हल्का नहीं होता तब तक वो रोती रहती है।
राघव आफिस के केबिन के अन्दर कमरे में सो रहा होता है। राघव रात को यहां आकर सो जाता है। ईशा को कोई परेशानी ना हो इसलिए। राघव उठकर सोफे पर बैठ जाता है। उसे रात की सब बातें याद आने लगती है।
राघव घड़ी में समय देखकर यह क्या दस बजने वाले हैं। सब काम करने वाले आने वाले हैं मुझे ऐसे देखकर अच्छा नहीं लगेगा राघव उठकर बाथरूम चला जाता है।
ईशा नीचे आती है। आशा जी की तरफ देखकर मां वो खाने में क्या बनाना है? आशा जी उसे थोड़े दिन काम करने को मना करती है। पर ईशा जिद करती है तो आशा जी उसे किचन में लेकर जाती है।
आशा जी ईशा से चूल्हा पूजन करवाती है। फिर ईशा को कुछ मिठाई बनाने को कहती हैं। और खुद बहार आकर राघव को फोन करती है। राघव नहाकर बाहर आया था। फोन आवाज सुनकर फोन के पास आकर घर के नंबर देखकर समझ जाता है। आशा जी का फोन था।
राघव फोन उठाता है।
राघव बेटा कहां हो तुम कल रात से?
मां वो आफिस में कुछ जरूरी काम है इसलिए मैं आफिस में ही हूं। आप चिंता मत कीजिए मैंने नाश्ता और काफी का पी लिया है। इतना कहकर राघव फोन कट कर देता है।
आलोक जी और अभिलाष जी दुकान चले जाते हैं। अनिता जी और ममता जी,रमा जी आंगन में बैठे ईशा की फ़िक्र कर रहे होते हैं। जिया आज कोलेज अकेले गई थी। उसे ईशा के बिना अच्छा नहीं लग रहा था।
आदित्य जिया को देखकर उसके पास आता है। हयय जिया कैसी हो तुम? जिया आदित्य को घूरती है। आदित्य समझ जाता है कल जो हुआ उसके बाद जिया का मूड खराब है।
आदित्य जिया को लेकर केंटिन आता है। जिया का लेक्चर में जाने का मन नहीं था। जिया आदित्य की तरफ आदि ईशा कैसी होगी। उसे तो पूरा न्या परिवार मिला है।
आदित्य जिया के साथ पर अपना हाथ रखकर जिया चिंता मत कर सब सही होगा।
आशा जी आज एनजीओ नहीं जाती है। आशा जी नीचे सोफे पर बैठी होती है। ईशा खीर लेकर आती है। आशा जी मन्दिर में भोग लगाने को कहती हैं।
ईशा मन्दिर में जाकर खीर का भोग लगाकर डायनिंग टेबल के पास आकर आशा जी को देती है। आशा जी खीर खाकर हम्म्म बहुत अच्छी बनी है। वैसे खीर राघव को बहुत पसंद हैं।
राघव का नाम सुनकर ईशा का दिल धड़कने लगता है। राघव की रात की कही बात सब याद आने लगते हैं।
राघव केबिन में आकर बैठ जाता है। आफिस में सब आने लगे थे। अंजली राघव के केबिन में आकर गुड मॉर्निंग सर
गुड़ मार्निंग राघव बिना अंजली पर ध्यान दिए बोलता है। राघव अंजली से अंजली एक कप कॉफी और राहुल आ गया है क्या?
अंजली सर राहुल सर अभी तक नहीं आए हैं। राघव ठीक है आए तब मेरे केबिन में भेजना।
आज राहुल आफिस नहीं जाता है। वो अपने कमरे में ही होता है। उसका सर में दर्द हो रहा होता है।
राघव घड़ी में समय देखता है। रात के साथ बज चुके थे। आज राहुल नहीं आया था। राघव अपने केबिन से निकलकर गाड़ी की तरफ आता है।
ईशा कमरे में अकेली बैठी होती है। वो कमरे में चारो तरफ देखती है। फिर उठकर कमरे की सफाई करती है। सारा समान राघव का इधर उधर रखा हुआ था। ईशा उसे सभी सही जगह रखती है।
अगले भाग में
कैसा लगा आज का भाग जरूर बताये और समीक्षा जरुर दे
धन्यवाद
पूजा गोयल