अनचाही शादी में मनचाहा दूल्हा 96 | unchahi shadi me manchaha dulha 96

ईशा तैयार होकर नीचे आती है। मन्दिर में आकर सफाई करती है। आशा जी मन्दिर में आती है दोनों मिलकर पूजा करते हैं।

ईशा किचन की तरफ चली जाती है। काका पहले से किचन में थे। ईशा काका को देखकर काका अब कैसी है आपकी तबियत?

काका ईशा को आशीर्वाद देते हुए बेटा अब ठीक है तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद तुमने कल दवाई और आराम करने को बोला यहां मुझे काम करते हुए इतने साल हो गए हैं पर अमित साहब और आशा मैम के अलावा मेरा यहां कोई ध्यान नहीं रखा था।

ईशा मुस्करा जाती है। काका आप सब्जी कट कर दीजिए हम चाय और नाश्ता बना देते हैं। काका हां मैं सर हिला देते हैं। ईशा सबके लिए गरमा गरम चाय और पोहा बनाती है।

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राघव तैयार होकर नीचे आता है। आज उसकी मिटिंग थी इसलिए वो जल्दी में होता है। आशा जी पूजा घर में थी। राघव नीचे उतरकर बाहर जाने लगता है ईशा जाते हुए देख उसके पास आती है। राघव जी

राघव ईशा की आवाज सुनकर मुड़कर देखता है। राघव जी नाश्ता तैयार है और हमारी मां हमेशा कहती हैं नाश्ता किए बिना घर से नहीं जाना चाहिए आप पहले नाश्ता कर लीजिए।

राघव ईशा के इतने प्यार से बोलने पर हां बोल देता है और डायनिंग टेबल के पास आ जाता है। ईशा चाय और पोहा लगा देती है। राघव चाय देखकर ईशा जी मैं चाय नहीं पिता हूं।

ईशा मुंह बिगाड़कर ठीक है हम काफी बना देते हैं। राघव ईशा के मुड समझ जाता है। उसे रोककर ईशा जी रहने दिजिए मैं आफिस में पी लूंगा और मेरा नाश्ता हो गया है मेरी मिटिग है मुझे जाना होगा।

आशा जी मन्दिर से आती हुई। ईशा की तरफ देखकर भाग गया आज फिर। आजकल यह अपना बिल्कुल ध्यान नहीं रखता है। सिर्फ काम ही दिखाई देता है इसे।

ईशा आशा जी को चाय और नाश्ता देती है। आशा जी ईशा की तरफ देखकर बेटा तुम एनजीओ वापस जाना चाओगी?

ईशा आशा जी की तरफ देखकर मां आपकी परमिशन होगी तो हम जरूर जानें चाहेंगे।

आशा जी हां मैं सर हिला देती है। ईशा आशा जी की तरफ देखकर मां आज भाई और जिया की शादी की शापिंग करने जा रहे हैं। पापा का फोन आया था उन्होंने मुझे भी बुलाया है अगर आप कहें तो मैं चली जाऊ?

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आशा जी ईशा को अपने पास बैठने को कहती हैं। ईशा आशा जी के पास बैठ जाती है। बेटा मैंने तुम्हें इस घर की बहू बनाया है पर बेटी माना है। तुझे जहां जाना है जा सकती है। परमिशन लेने की जरूरत नहीं है तु सिर्फ बताकर जाएगी इतना बहुत है।

ईशा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

ईशा भी चाय नाश्ता करती है। मधु जी और आशीष जी भी आ जाते हैं। हिमा रात से घर पर नहीं थी‌। मधु जी आकर डायनिंग कुर्सी पर बैठकर क्या बातें चल रही है सास बहू मैं?

आशा जी मधु जी को अच्छे से जानती थी उनकी जलन को भी।

कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हमें पिहर जाना था इसलिए मां की परमिशन दे रहे थे।

मधु जी कुटिल मुस्कान करके अच्छा तुम्हार पिहर भी है मैंने सोचा भाभी किसी सड़क पर पड़ी गरीब से अपनी बेटे की शादी कराकर लेकर आ गई है।

ईशा यह सुनकर उदास हो जाती है। आशा जी मधु जी की तरफ देखकर मधु क्या ढंग है नई बहू से ऐसे बात की जाती है?

भाभी सा सही तो बोल रही है मधु अगर इस लड़की का परिवार है तो फिर उसे पगफेरे के लिए लेने क्यों नहीं आया? या इतना गरीब परिवार है की बाप के आने के लिए पैसे तक नहीं है? इतना कहकर आशीष जी और मधु जी दोनों हंसने लगते है।

ईशा की आंख से आंसू बहने निकलते हैं। आशा जी ईशा की तरफ देखती है। ईशा वहां से भागकर कमरे की तरफ चली जाती है।

मधु और आशीष तुम्हें शर्म नही आती है? नई बहू का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। वैसे मधु तुम्हारा कौनसा परिवार है तुम यह मत भुलो तुम इस घर में कैसे आई हो?

मधु जी और आशीष जी आशा जी की बात सुनकर चुप हो जाते हैं। आशा जी ईशा के कमरे की तरफ जाती है।

ईशा बैड पर बैठी रो रही होती हैं। आशा जी दरवाजा खोलती है। ईशा आशा जी को देखकर मां आप ईशा अपने आंसू पोंछ लेती है।

आशा जी ईशा के सर पर हाथ फेरकर बेटा, मधु और आशीष की बात का बुरा मत मानना। वो दोनों ही ऐसे ही है आजकल पता नहीं क्यों वो दोनों राघव और हमसे चिढ़े हुए रहते हैं।

बेटा तुम तैयार हो जाओ और भाई की शादी की शापिंग करो।‌ ईशा हां मैं सर हिला देती है। आशा जी कमरे से निकलकर नीचे आकर एनजीओ के लिए निकल जाती है।

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ईशा कबर्ड से कपड़े निकालकर बाथरूम में चली जाती है।

राघव अपने आफिस में मीटिंग रूम में होता है। आज राहुल आफिस आया था। वो मीटिंग का प्रजेंटेशन दे रहा था। राघव को राहुल का काम अच्छा लग रहा था। सामने बैठे पार्टी अभी भी मीटिंग समझ रहे थे।

ईशा तैयार होकर बाथरूम से आती है। ईशा ने रेड कलर का शरारा और कुर्ता पहना था मैचिंग डुप्पटा साथ में। ईशा आईने के पास आकर गले में मंगलसूत्र सही करती है। सिंदूर लगाती है। बालों को सही करके बैड पर पड़ा पर्स उठाकर कमरे से निकल जाती है।

ईशा नीचे आकर देखती है। सोफे पर आलोक जी और आदित्य बैठा था। काका उन्हें चाय नाश्ता पूछ रहे थे। ईशा आलोक जी को देखकर खुश हो जाती है। पापा आप?

आलोक जी ईशा को देखकर खड़े हो जाते हैं। उसे गले लगा लेते हैं। कैसी है हमारी बेटी?

ठीक है पापा हम। आप कैसे हैं?

बेटी को अच्छा देखकर मैं और भी अच्छा हो गया हूं अब।

ईशा आदित्य की तरफ देखकर कैसे हो आदि?

ठीक हूं। राघव जीजू नहीं दिखाई दे रहे हैं कहा है?

आफिस गए हैं राघव जी और मां एनजीओ गई है।

पर पापा आप यहां क्यों आए हम आने ही वाले थे वहां फिर आप सबने क्यों तकलीफ ली?

बेटा तुम्हारी शादी के बारे पगफेरे की रस्म भी करवानी थी।  इसलिए आज लेने ही आ गया।

ईशा के चेहरे पर अपने पापा से मिलने के बाद इतनी स्माइल आ चुकी थी।

काका सबके लिए चाय नाश्ता लेकर आते हैं। आलोक जी काका को‌ मना करते हैं। माफ़ किजिए आप इतनी मेहनत मत कीजिए हम बेटी के ससुराल से कुछ नहीं खा सकते हैं।

चलो यह बात तो आपको याद है आपकी बेटी का ससुराल भी है।

आलोक जी आवाज सुनकर उस दिशा में देखते हैं। मधु जी आगे आती है क्या बात है हमारे गरीब समधी जी आपको अपनी बेटी याद आ गई?

ईशा मधु जी की बात सुनकर चेहरे पर जो मुस्कान थी वो चली जाती है। आलोक जी यह सुनकर मधु जी की तरफ देखते हैं।


अगले भाग में

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धन्यवाद

पूजा गोयल

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