अनचाही शादी में मनचाहा दूल्हा 98 | unchahi shadi me manchaha dulha 98

एक बात याद रखना राघव तेरा बाप मेरे काम के बीच नहीं आया। जब आया तो मैंने खुद उसे रास्ते से हटा दिया था राघव फिर तुम क्या चीज़ हो मेरे लिए।

आशीष जी की बात सुनकर सब हैरानी से उन्हें देखने लगते हैं।

राघव मुस्करा कर आशीष जी के पास आता है। चाचू अगर आपको यह लगता है मैं आपकी धमकी से यहां आपके तेज बोलने से मैं रूक जाऊगा तो यह आपकी गलतफहमी है।

आज आपने खुद कबूल कर लिया है चाचू की आप ही पापा के हत्यारे हैं। उस दिन पापा के थोड एक्सीडेंट में आपका ही हाथ था।

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आशीष यह सुनकर चारों तरफ देखने लगते हैं। जो सब उन्हीं हैरानी से देख रहे होते हैं। आशीष जी के चेहरे पर पसीने टपकने लगते हैं।

राघव अपने कमरे की तरफ चला जाता है। आशा जी ईशा को जाना का इशारा करती है। ईशा भी राघव की पीछे चली जाती है। आशा जी भी अपने कमरे की तरफ चली जाती है।

आशीष जी वही खड़े उन्हें अपनी आवाज बार बार सुनाई दे रही थी। मधु जी आशीष जी के पास आकर आपने भाईसाहब को‌ मरवाया था मुझे यह बात बताई क्यों नहीं आपने?

आशीष जी कुछ नहीं बोलते हैं। घर से निकलकर बाहर की तरफ चले जाते हैं। मधु जी परेशान सी अपने कमरे में चली जाती है।

राघव अपने कमरे में आता है। अपना पहना हुआ कोट उतारकर बैड पर फेंकता है। ईशा कमरे में आने को होता है। राघव को गुस्से में देखकर उसके पास आकर राघव जी।

राघव ईशा की तरफ देखता है। राघव की शक्ल पर थोड़ा गुस्सा लग रहा था। ईशा यह देखकर डर जाती है और कुछ नहीं बोलती है।

राघव समझ जाता है। ईशा उसकी वजह से डर रही है। राघव ईशा की तरफ देखकर तुम चिंता मत करो। मैं बिल्कुल सही हूं। तु सो जाओ।

ईशा कुछ नहीं बोलती है। राघव की नरम आवाज सुनकर वो कपड़े बदलने के लिए बाथरूम चली जाती है।

आशा जी अपने कमरे में बैठी आशीष की बात कानों में सुनाई दे रही थी। तेरे बाप को मैंने मेरे काम में नहीं आने दिया फिर तु क्या चीज़ है।

आशा जी टेंशन होने लगती है। कहीं आशीष जी गुस्से में आकर राघव को कुछ कर ना दे। राघव आशा जी के कमरे में आता है।

आशा जी राघव को देखकर उसके सर पर हाथ फेरकर बेटा क्यों कर रहा है तु आशीष के साथ मत कर ना बेटा तुझे कुछ हो जाएगा तो क्या होगा मेरा और अब तो ईशा भी तुम्हारी जिम्मेदारी है।

राघव भी इमोशनल हो जाता है। आशा जी के हाथ को अपने हाथ में लेकर चिंता मत कीजिए आप सब सही होगा बस आप अपना ध्यान रखना। क्योंकि चाचू ने मुझे नहीं आपको या ईशा को चोट पहुचाने की भी पूरी कोशिश करेंगे इसलिए आप दोनों को भी ध्यान रखना होगा।

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आशा जी हां मैं सर हिला देती है। ईशा बाहर खड़ी सब सुन रही होती हैं। उसके आंख से आंसू निकल जाते हैं।

ईशा कमरे में आ जाती है। राघव भी कमरे में आकर ईशा की तरफ देखकर तुम अभी तक सोई नहीं।

ईशा राघव को देखकर बस सोने ही जा रही थी। राघव हां मैं सर हिला कर सोफे की तरफ बढ़ जाता है। ईशा बैड पर बैठकर राघव की तरफ देखती रहती है।

राघव सोफे पर आंख बंद किए हुए बोलता है। ईशा तुम्हें जो पूछना है वो पूछ सकती हो‌।

ईशा राघव की बात सुनकर हड़बड़ा जाती है। फिर एक लंबी सांस छोड़कर राघव जी मुझे पता है। मुझे यहां आए अभी दो दिन ही हुए हैं पर हमें ऐसा लगता है परिवार की बात परिवार में ही सुलझ जाए तो अच्छी है। बात बिगड़ गई तो फिर बाद में बर्बादी के अलावा और कुछ मिलेगा हम सब को।

राघव पहले से ही आशीष जी की बात से परेशान इसलिए वो ईशा की बात सुनकर उस पर गुस्सा हो जाता है। आशीष जी का गुस्सा ईशा पर निकलने लगता है।

तुम जानती हो मेरी चाचा को बोलो तुम जानती हो मैंने उनकी वजह से अपना बाप खोया है तुमने नहीं। तुम्हें पता है मां बाप के बिना क्या जिंदगी है नहीं ना मैं रहा हूं अपनी मां से दूर अपने पिता के बिना।

ईशा राघव की बात सुनकर आंख में आसूं आने लगते हैं। पर ईशा आंसू को धीरे से पोंछ लेती है।

सॉरी मुझे आपको नहीं समझाना चाहिए था। इतना बोलकर ईशा बैड पर लेट जाती है।

राघव को ईशा को डांटने के बाद पछतावा होता है। यह मैंने क्या कर दिया चाचू का गुस्सा ईशा जी पर उतार दिया। इनकी क्या ग़लती थी। ईशा जी ने अपनी तरफ से सभी बात की है।

राघव को नींद नहीं आ रही होती हैं। राघव उठकर अपने कबर्ड से एक शराब की बोतल और कांच का गिलास निकालता है उसे लेकर बालकनी में आ जाता है। बालकनी में कुर्सी पर बैठकर एक गिलास भरकर रख देता है।

राघव उसे एक ही घुट में पी जाता है।‌ राघव को इसका कोई नशा नहीं था। पर जब वो ज्यादा परेशान होता उसका दिमाग काम करना बन्द हो जाता तो वो यही अपना सबकुछ मानता था।

राघव अन्दर आकर देखता है। ईशा सो चुकी थी। राघव ईशा के पास बैठकर उसके सर पर अपने होंठों को रख देता है। मन में ईशा मुझे माफ़ कर देना आज पता नहीं कैसे तुम पर मेरा गुस्सा निकल गया। आई एम वैरी वैरी सॉरी ईशा।

राघव अपने सोफे की तरफ आकर लैट जाता है।

सुबह ईशा को जोर जोर से आवाज सुनाई देती है। जिसे ईशा और राघव दोनों की नींद खुल जाती है। ईशा बैड से उतरकर बाहर की तरफ जाती है। राघव भी उसके पीछे पीछे आता है।

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मधु जी अपना सूटकेस लेकर बाहर खड़ी थी। हिमा उन्हें रोक रही थी। मां आप कहां जा रही है और पापा कहां है कहीं दिख नहीं रहे हैं?

मधु जी रोते हुए जोर जोर से चिल्लाती है तेरा बाप किसी का हत्यारा है हिमा। पता नहीं आशीष को क्या ऐसा दिख गया जिसे उन्होंने भाईसाहब का खून करवा दिया।

हिमा यह सुनकर हैरान रह जाता है। उसके कदम पिछे की तरफ चली जाती है। मॉम यह आप क्या कह रही है? डैड ऐसे कैसे कर सकते थे?

आशा जी और राघव को अमित जी कि मौत वाला दिन याद आने लगा था। कैसे उनकी लाश देखकर आशा जी को राघव ने सम्भाला तब वो खुद बहुत छोटा था।

आशा जी के आंख में आसूं की धारा बहने लगती है। अमित जी के बारे में सोचकर आशा जी बेहोश होने लगती है। ईशा और राघव दोनों भागकर आशा जी को सहारा देते हैं।

हिमा और मधु जी भी उस तरफ देखते हैं। आशा जी को राघव उनके कमरे में लेकर जाते हैं। ईशा आशा जी के हाथ पैर पर मालिश करती है।

राघव डाक्टर को फोन करके बुलाता है। राघव नीचे आकर मधु जी और हिमा की तरफ देखकर। यह आप दोनों ने क्या सुबह सुबह तमाशा लगाकर रखा है घर पर? पहले से ही चाचू का हाथ कम है तमाशा मैं जो आप दोनों ने और लगा दिया।

एक बात याद रखना अपने पिता को खोया हैं आप सब कि वजह से अगर मेरी मां और ईशा को कुछ चोट पहुंचाने की कोशिश की तो आप सब का जीना हराम कर दूंगा। इतना कहकर राघव अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है।

राहुल जिया के घर जाता है। सौरभ जी अपनी फेक्ट्री चले गए थे। रमा जी राहुल को देखकर अन्दर आने को कहती हैं। राहुल रमा जी से जिया को बाहर लेकर जाने की परमिशन मांगने आता है।

रमा जी उसे हां कह देती है। जिया तैयार होकर राहुल के साथ बाइक भी बैठकर मूली देखने चली जाती है। जो टिकट कर राघव ने दी थी राहुल को वहीं थी।

आशा जी का डाक्टर देखने आती है। ईशा डाक्टर की तरफ देखकर क्या हुआ है मां को सब सही है ना?

डॉक्टर हां सब कुछ सही है चिंता की कोई बात नहीं है। थोड़ा टेंशन ज्यादा की वजह से बीपी ज्यादा हो गया है। आप इनका खाना पीने का ध्यान रखिए और थोडी मेडिसन लिख दी है आप इन्हें समय से देते रहे।

ईशा और राघव दोनों हा  मैं सर हिला देते हैं।

अगले भाग में

कैसे लगा आज का भाग जरूर बताये और समीक्षा जरुर दे

धन्यवाद

पूजा गोयल

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