अनचाही शादी में प्यार 68 | Unchahi shadi me pyar 68

अनचाही शादी में प्यार 68 (Unchahi shadi me pyar 68)

राहुल और जिया घर आ जाते हैं। अनिता उन दोनों को देखकर अरे तुम दोनों आ गए मुझे लगा देर लगेगी।

मां वो ईशा और राघव जी दोनों अपनी कुल देवी मन्दिर के लिए जा रहे थे। वो यहां से पांच घंटे की दूर पर गाव में है और होली की सुबह वहां उनकी धोक लगती है इसलिए अभी रात को ही निकल गए थे।‌

तो वो दोनों होली खेलने नहीं आएंगे क्या!!

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मां ईशा और सब ने हां बोला वो दोनों कल दोपहर तक वापस आ जाएंगे ईशा की पहली होली है ससुराल में तो वो लोग भी उसे वहां देखना चाहते हैं।

अनिता जी जिया की तरफ आकर जैसे ईशा के ससुराल में पहली होली है वैसे ही मेरी बहू की कल पहली होली है हमारे घर तो मैं बहुत धूम धाम से मनाया चाहती हूं।

जिया यह सुनकर मुस्कुरा देती है।

इस बार की होली अपनी बहूं के साथ है पर अगली बार की होली अपने पोता या पोती के साथ होनी चाहिए यह मैं पहले ही कह देती हूं। अनिता जी राहुल और जिया दोनों की तरफ देखकर कहती हैं।‌

जिया बहाना बनाकर रसोई में चली जाती है। राहुल भी वहां से उठकर कमरे में चला जाता हैं।‌

अनिता जी मुस्करा जाती है। फिर मुस्कराती हुई ईशा को फोन करती है।‌

ईशा गाड़ी में होती है। हां छोटी मां कैसी है आप?

ठीक हूं गुड़िया तु बता तु कैसी है और राघव जी कैसे हैं?

ठीक है छोटी मां हम दोनों ईशा राघव की तरफ देखकर जवाब देती है।

राघव का ध्यान डाइविंग के साथ ईशा की बातो पर भी था।

राहुल ऊपर कमरे में आकर बालकनी में आ जाता हैं। फाल्गुन की ठंडी हवा राहुल को अच्छी लग रही थी।

ईशा बेटा मैं कह रही थी तुम सब होली खेलने यहां आ जाना और कल मैं आशा जी से भी बात कर लूंगी।

जी छोटी मां हम आ जाएंगे आप चिंता मत कीजिए।

ठीक है हम फोन रखते हैं तुम दोनों ध्यान से जाना।

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जी।

क्या हुआ क्या कह रही थी छोटी मां?

वो यही होली के दिन तुम घर आ जाना जवाई सा को मत लाना।

राघव समझ जाता है ईशा उसकी खिंचाई कर रही है इसलिए वो कहां कम था।

कोई नही में तो वैसे भी पत्नी के पल्लू से बंधे हैं वो जहां पत्नी जी जाएगी वहां हम भी चले जाएंगे।

ईशा यह सुनकर मुस्कुरा जाती है। राघव जी हम आपसे एक बात पूछे आप उसका सही सही जवाब देंगे ना?

हम्म्म् पूछो।

राघव जी हमने शादी वाले दिन आपको‌ बहुत सुनाया था और आप पर थोड़ा हाथ भी उठ गया था आपको गुस्सा नहीं आया हम पर।

राघव ईशा की तरफ देखकर गुस्सा वो तो मैं कहीं साल पहले ही छोड़ दिया है जब मैं अपने गुस्से की वजह से कालेज से 1 महीने के बाहर हुआ था।

आप गुस्से की वजह से कोलेज से बाहर हम कुछ समझे नहीं।

ईशा यह बात हम फिर कभी बताएंगे और हो सके तो कभी कभी पुरानी बातों को याद भी नहीं करनी चाहिए।  राघव के चेहरे पर अलग ही तरह के भाव आ गए थे उदासी के।

ईशा वो देख चुकी थी इसलिए वो‌ बात चेंज करते हुए राघव जी बहुत जोर की भूख लगी है खाना खा ले क्या?

ईशा अगर अभी यह ना गाड़ी रूकी तो जंगली जानवर हमें खाना नहीं खाने देंगे।

तो हम कौनसा गाड़ी रोकने को कहा रहे हैं हम खाना साथ लाए हैं यह देखिए ईशा बैग दिखाकर कहती हैं। हम गाड़ी में ही खा लेते हैं ना।‌

तो ठीक है आप ही हमें खिला दीजिए ना। राघव ईशा की तरफ देखकर कहता है।‌

ईशा मुस्करा कर सर नीचे कर लेती है।

ममता जी रसोई में थी ईशा वहां आकर बड़ी मां आपने तैयारी कर ली मुंबई और गोवा जाने की। आपको और बड़े पापा को होली के दूसरे दिन जाना है।

जिया समझ नहीं आ रहे हैं वहां किस तरह कपड़े चलते हैं क्या डालूं क्या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा है।

बडी मां बस इतनी सी बात जिया है ना यह जिया किस काम आएगी मैं आपकी पैकिंग अच्छे से करवा दूंगी कल सुबह ही।

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ठीक है फिर।

ईशा टिफिन को खोलती है। एक बाईट लेकर राघव की तरफ बढ़ाती है। राघव डाइविंग करता हुआ उसके हाथ से बाईट खा लेता है।

हिमा कमरे में अकेली बैठी मोबाइल की तरफ देखती हुई एक बार मैं अवि से बात करूं। हां कर ही लेती हूं। नहीं नहीं भाई या भाभी से पूछे बिना में बात नहीं कर सकती हूं।

सुशिला फोन पर बात कर रही थी सुन टाकिया वो सब लड़कियों वापस गोदाम में सेट कर और सुन वो डिलर को कहना होली वाले दिन नहीं उसके अगले दिन समझ गया ना।

इस बार कोई भी गड़बड़ हुई ना तो सोच लेना मैं तुम्हारा क्या हाल करूंगी।

इंस्पेक्टर मनोज आशा जी को फोन लगाते है। पर आशा जी का फोन स्विच ऑफ आता है। इंस्पेक्टर मनोज घड़ी की तरफ देखकर अभी इतनी रात को सही समय नहीं है कल सुबह ही बात करते हैं हम।

सुशिला सामने देखती हुई।‌ होली वाले दिन ही रमन को छुड़ाकर हम सब मुंबई जाएंगे और वहां से जहाज में बाहर डिलर के पास इस बार मैं कुछ भी लफड़ा नहीं चाहती हूं।

ईशा राघव को एक और बाईट खिलाती है। राघव उसकी अंगुली भी काट देती है।‌

आहहह…ईशा जोर से चिल्लाती है फिर अंगुली की तरफ देखती है हल्का सा खून आने लगता है फिर गुस्से और दर्द में राघव की तरफ देखती है।

राघव ईशा की अंगुली पर अपना हाथ रखकर यह मेरा लव बाइट था। इस बार राघव ईशा की खिंचाई कर रहा था।‌

लव बाइट..लव बाइट वो भी अंगुली पर हमने तो कभी नही सुना ईशा गुस्से में बोलती है।

आप कह तो जहां लव बाइट देना चाहिए वहां भी दे दूं।

ईशा की चेहरे पर शर्म की हल्की लाली छा जाती है। वो अपने सर पर हल्की सी चपत लगाती है मन में यह हमने क्या कह दिया।


अगले भाग में

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धन्यवाद

पूजा (kahanisangrah.in)

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