अनचाही शादी में प्यार 75 (Unchahi shadi me pyar 75)
ईशा और राघव मन्दिर के आधी सीढियां चढ़ चुके थे। ईशा को थकावट महसूस होने लगी थी। आसपास में बहुत से लोग चढ़ रहे थे।
राघव ईशा की तरफ देखता है उसका चेहरा थकान के कारण सूख गया था। राघव ईशा को रोकता है। उसे अपनी बाहों में उठा लेता है।
उसका एक हाथ ईशा की पीठ पर दूसरा हाथ पैरों पर था। ईशा उसे ऐसा करते देख राघव जी हमें नीचे उतारिए आस पास के लोग क्या सोचेंगे?
सच में आस पास सभी लोग उन्हीं की तरफ देखते हुए चल रहे थे कोई तो मुस्करा रहे थे और किसी की पत्नियां जल भी रही थी उसका पति राघव जैसा क्यों नहीं है।
ईशा देखने दो और सोचने दो आस पास के लोगों को हमें क्या तुम थकान महसूस हो रही है हमें पता है इसलिए अब आधा रास्ता ही तो बच्चा है।
पर आपके हाथ पर चोट आई है और आप भी तो थक गए होंगे ना?
राघव ना मैं सर हिला देता है तुम मेरी चिंता मत करो मैं बिल्कुल ठीक हूं। अब चलें।
ईशा को ऐसे राघव की बाहों में शर्म आ जाती है। वो उसकी बाहों में अपना सर छुपा लेती है।
हिमा मिष्ठा की बात सुनकर कुछ देर कुछ भी नहीं बोलती है। फिर अपने आंसू को पोंछकर हां मिष्ठा वो सब सच है पर इसमें मेरी तो कोई ग़लती नही है ना!!
हिमा पता है हमें तेरी कोई ग़लती ने नहीं है पर मैं यह कहना चाहती थी वो तु हमारे ग्रुप से बाहर है वो हम सब तो तुझे अपने ग्रुप में रखना चाहते हैं पर मम्मी पापा वो सबके माना कर रहे हैं।
हिमा हिम्मत से काम लेकर थैंक्यू.. थैंक्यू मिष्ठा जो तुम सब ने आज अपना असली चेहरा दिखा दिया सच ही कहते हैं लोग मुसीबत में अपने ही काम आते हैं आज मैं तुम सबको अपना मान रही थी पर मैं ग़लत थी अपना तुम नहीं मेरी भाई और भाभी थे।
तुम सब मुझे क्या ग्रुप से बाहर करते हो मुझे खुद को ही नहीं रहना है। पर भगवान ना करे जो मैंने सहा है वो तुम सब के साथ कभी हो।
इतना कहकर वो फोन कट कर देती है। और रोने लगती है।
हिमा की रोने से उसकी आंख सूजने लगती है।
आदित्य अपने घर के नीचे गाड़ी के पास खड़ा था उसे समझ नहीं आ रहा था उसे हिमा के घर जाना चाहिए या नहीं। पर उसे याद आता है उस घर में ईशा और राघव भी रहते हैं वो उनके बाहने हिमा से भी मिल लेगा।
आशा जी वापस घर आ चुकी थी। अपने कमरे में आकर वो कपड़े चेंज करने चली जाती है।
मधु जी वापस हिमा के कमरे की तरफ जाती है। दो बार खटखटाने से हिमा दरवाजा खोल देती है। हिमा अपने आंसू पोंछकर चेहरे पर झूठी हल्की मुस्कान लेकर मम्मा आप!!
हां बेटा मैं कब से दरवाजा खटखटा रही थी तु खोल क्यों नहीं रही थी।
मम्मा हम नहाने गए थे फिर तैयार होने लगे तो हमें पता नहीं चला था।
अच्छा कोई नहीं तु ठीक है ना मधु जी उसकी सूजी हुई आंख देखकर पूछती है!!
हिमा हां मैं सर हिला देती है हां मां हम ठीक है आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए।
ठीक है तुम बाहर आ जाओ नाश्ता तैयार है फिर शाम को होली दहन की भी तैयारी करनी है ईशा और राघव की शादी के बाद पहली होली है इसलिए हम उन दोनों को कुछ देना चाहते हैं।
शादी में तो हम कुछ नहीं दे पाए थे सिर्फ हमारे तानों ही दिए हैं पर इस बार सच्चे मन से हम उन दोनों के लिए कुछ लेना चाहते अगर तुम पसंद करोगी तो हमारी मदद हो जाएगी।
हिमा हां मैं सर हिला देती है।
और
जिया अपने कमरे से निकलकर ऊपर छत पर चली जाती है कपड़े सूखाने के लिए।
दस बज चुके थे सुबह के ईशा और राघव मन्दिर के एकदम करीब ही थे एक दो सीढियां और बची थी। हर कोई उन्हें देखकर अच्छी जोड़ी बता रहा था।
ईशा राघव की तरफ देखती है फिर अपना सर नीचे झुका लेती है उसे अब राघव की बारे में जो भी संदेह थी वो सब धीरे धीरे खत्म होने लगी थी।
ईशा को राघव ऊपर मन्दिर में नीचे उतारता है। दोनों पंडित जी के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। पंडित जी राघव को पहचान जाते हैं। वो ईशा को एक चुनरी देते हैं और दोनों का गंठबंधन करके पूजा करवाते हैं।
ईशा एक नजर राघव की तरफ देखती है फिर पूजा में ध्यान देने लगती है।
आदित्य गर्ग हाउस पहुंचता है। पर अभी हिमा के साथ हुए हादसे के बाद उनकी सिक्युरिटी बढ़ा दी थी इसलिए आदित्य को गार्ड अन्दर नहीं आने दे रहा था।
सौरभ जी और रमा जी गोयल हाउस आते हैं। होली की मिठाई और गिफ्ट लेकर।
आलोक जी सोफे पर ही बैठे थे उन दोनों को देखकर अभिलाष जी और अनिता जी ममता जी को आवाज देते हैं।
सौरभ जी आलोक जी के पास जाकर बैठ जाते हैं। रमा जी सामने सोफे पर बैठ जाती है।
अनिता जी और ममता जी रसोई से बाहर आते हैं। उन दोनों को देखकर खुश होते हैं। अनिता जी रमा जी के पास बैठ जाती है।
बातो ही बातो में पता चलता है वो सब एक मंथ के लिए बाहर जा रहे हैं। जिया और राहुल यही पर है।
रमा जी यह सुनकर सौरभ जी की तरफ देखती है। अनिता जी और ममता जी उन दोनों की चिंता समझ जाती है।
चिंता मत कीजिए रमा जी बच्चों को थोड़ा अकेले में समय मिले इसलिए ही हम लोग जा रहे हैं हमारा भी घुमना हो जाएगा। और आप और भाईसाहब है ना बच्चों को सम्हालने के लिए।
रमा जी हां मैं सर हिला देती है। उन सबको ध्यान से जाने को कहती हैं और कुछ हो तो बताने को कहती हैं।
आदित्य गार्ड को समझा रहा था उसे ईशा से राघव से मिलना है वो उनका दोस्त हैं। पर गार्ड उन्हें अन्दर नहीं जाने देता है।
राहुल का गुस्सा थोड़ा बहुत शांत हो चुका था। वो नीचे चला आता है नीचे रमा जी और सौरभ जी को देखकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेता है।
फिर कुछ देर वहीं बैठ जाता है। दोनों परिवार में बातें चल रही थी। जिया ऊपर छत पर कपड़े सूखाने के बाद छत की सफाई कर रही थी कल होली का प्रोग्राम छत पर था इसलिए।
अगले भाग में
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पूजा (kahanisangrah.in)