अनचाही शादी में प्यार 77 (Unchahi shadi me pyar 77)
ईशा कमरे में तैयार हो रही थी। राघव सुबह वाले कपड़े में ही अभी तक नीचे सोफे पर बैठा था। वो उठकर हिमा के कमरे की तरफ जाता है।
हिमा अपने कमरे में सोफे पर बैठी थी वो कोई बुक पढ़ रही थी।
राघव उसका दरवाजा खटखटाता है। हिमा दरवाज़े की तरफ देखकर राघव भाई आप..हिमा बुक को साइड में रखकर आईए ना आप बाहर क्यों खड़े हो।
राघव अन्दर आता है। हिमा के पास सोफे पर बैठता है तु ठीक है ना!!
हिमा हां मैं सर हिला देती है।
तो तु अभी तक तैयार क्यों नहीं होली दहन में चल रही है ना तु!!
नहीं भाई हमारा मन नहीं है हम घर पर ही है आप सब जाकर आईए।
क्या हुआ बच्चा अपने बड़े भाई को भी नहीं बताएगी। राघव हिमा के गाल पर हाथ रखकर बोलता है।
राघव की बात सुनकर हिमा की आंख में आसू आने लगते हैं। वो रोते हुए उसके गले लग जाती है। भाई हमें माफ कर दीजिए। हमारी वजह से आप सब का नाम खराब हो रहा है भाई। हम पहले आपका कहना नहीं माने हमारे साथ जो हुआ उसकी सजा आपको मिल रही है।
राघव उसे गले लगा लेता है। उसकी खुद की आंख नम हो चुकी थी वो अवि को सबक सिखाने का मन मना चुका था। राघव हिमा को चुप करवाता है। चुप हो जा बच्चा।
राघव हिमा को अपने से हटाकर हिमा मेरी बात सुन तु कब तक बाहर नहीं निकलेगी। तु अवि को सजा नहीं दिलवाना चाहती। क्या वो तुम्हारा गुनहगार नहीं है?
भाई वो हमारा विडियो..इतना कहकर हिमा फिर से रोने लगती है।
हिमा चुप वो ऐसा कुछ नहीं करेगा क्योंकि अगर वो विडियो वायरल करता है तो उसकी भी बदलामी होगी। इसलिए बेटा तु चिंता मत कर जब तक तेरा भाई है तुझे कुछ नहीं होने देगा।
हिमा राघव के गले लग जाती है। भाई हमें माफ कर दीजिए प्लीज़…।
चल अब जल्दी से तैयार हो जा। होली दहन का समय हो रहा है।
राहुल और जिया नीचे आते हैं। दोनों सबके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। जिया बहुत प्यारी लग रही थी उसकी बहुत तारीफ हो रही थी।
ममता जी और अनिता जी दोनों जिया और राहुल को पूजा घर में लेकर आती है। वहां दोनों की हाथों से पूजा करवाती है।
राघव अपने कमरे में आता है। ईशा आईने के पास खड़ी अपने ब्लाउज की डोरी बांध रही थी पर उसका हाथ सही से नहीं पहुंचने पर डोरी नहीं बंध रही थी।
राघव कमरे की दरवाजे के पास काफी देर से उसे देख रहा था। वो लंबी सांस छोड़कर ईशा की तरफ अपना कदम बढ़ाया है।
ईशा अभी भी कोशिश कर रही थी। उसे पीछे किसी की छउउन महसूस होती है वो नज़र उठाकर आईने में देखती है पीछे राघव खड़ा था।
ईशा अपने हाथ आगे खिंच लेती है।
राघव डोरी बाधता हुआ तुमझे नहीं बंध रहा था तो मुझे बुला लेती।
वो हम…. हमें लगा आप बिजी हैं तो इसलिए हम खुद ही बांधने लगे। ईशा धीरे से बोलती है।
ईशा ने रेड कलर की भारी ब्राडर की साड़ी पहनी थी उसके साथ मैचिंग ब्लाउज था। राघव ईशा के ब्लाउज की डोरी बांध कर उसकी पीठ पर अपने तपते होंठों को भी रख देता है।
राघव की होंठों की छुअन से ईशा की आंख बन्द हो जाती है। उसके शरीर में झनझनाहट होने लगती है।
राघव ईशा को अपनी तरफ घुमाता है। ईशा के दोनों हाथ राघव के गले में थे। राघव ईशा की होंठों की तरफ बढ़ने लगता है। ईशा की आंख बन्द हो जाती है।
ईशा की सांसें ऊपर नीचे होने लगती है। वो राघव की सांसो को अपनी तरफ महसूस कर रही थी।
मधु जी तैयार होकर हिमा के कमरे की तरफ जाती है। हिमा आईने के पास बैठी थी हाथ में कंघी लिए।
मधु जी हिमा को तैयार देखकर चेहरे पर स्माइल आ जाती है। फिर हिमा की तरफ आकर बेटा तुम तैयार हो गई!!
हिमा हां मैं सर हिला देती है। कंघी को वापस सही जगह रखकर मम्मा हमें दो दिन बाद कोलेज जाना है हमारा रिजल्ट आने वाला है वहीं देखने।
मधु जी उसकी बात सुनकर हां तो जा ने किसने मना किया है तुझे।
हिमा अभी कुछ नहीं कहती हैं।
राघव ईशा के होंठों की तरफ बढ़ता उसे पहले ईशा का फोन बजने लगता है।
ईशा राघव से अलग होकर अपने फोन की तरफ आने लगती है। उसकी सांसें अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी। वो फोन की तरफ आकर हां..हां आदित्य बोलो।
राघव बैड पर पड़े अपने कपड़े को लेकर बाथरूम में चला जाता हैं।
ईशा मैं कब से तुम्हारा फोन ट्राय कर रहा हूं तुम्हारा फोन लग क्यों नहीं रहा है?
आदित्य वो मेरा फ़ोन चार्ज नहीं था इसलिए..तुम बताओ ना क्या हुआ?
ईशा वो तुम्हारे घर आया था आज सुबह तो तुम्हारे गार्ड ने मुझे अन्दर ही नहीं आने दिया।
आदित्य वो मैं और राघव आज सुबह घर नहीं थे इसलिए हो सकता है मम्मी जी ने मना करके रखा हो।
ईशा मुझे पता चल गया है हिमा के साथ क्या हुआ उसकी वजह से गार्ड ने अन्दर नहीं आने दिया।
हिमा तैयार होकर घर से निकलकर कहीं चली जाती है।
आदित्य तुम यह बात कैसे जानते हो मैंने तो तुम्हें नहीं बताई थी फिर!!
ईशा तुम्हें नहीं पता हिमा की बात धीरे धीरे सब जगह फैलने लगी है। ईशा मुझे एक बार हिमा से मिलना है प्लीज़ तुम कुछ मदद कर सकती हो।
ईशा तुम्हें पता है ना मैं उसे पिछले एक साल से चाहता हूं और यह बात तुम्हारे और मेरे अलावा किसे भी नहीं पता और मैं चाहता हूं जब तक हिमा के दिल में मेरे लिए कुछ ना हो तब तक किसी को पता भी ना चले।
ईशा आदित्य की बात सुनकर परेशान हो जाती है। उसे समझ नहीं आता वो क्या करे क्या नहीं।
आलोक जी और बाकी सब पूजा घर में पूजा करके होली दहन की तैयारी करने लगते हैं।
ईशा और राघव भी तैयार होकर नीचे आते हैं। आशा जी मधु जी के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
ईशा इधर उधर देखती हुई चाची हिमा कहा है।
मधु जी भी इधर उधर देखती हुई हिमा तो अभी यहीं थी कहा गई यह लड़की।
राघव ईशा दोनों घबरा जाते हैं कहीं हिमा कुछ ग़लत कदम ना उठा ले। सब मिलकर घर में ही हिमा को ढूंढने लगते हैं। पर वो कहीं नहीं मिलती हैं।
मां किसे ढूढ रहे हैं आप सब!! दरवाजे से आवाज आती है।
सभी की नजर उस तरफ जाती है। गुलाबी कलर का सूट पहने हिमा खड़ी थी हाथ में पूजा की दाल लिए हुए थी।
मधु जी कि आंख से आंसू बह रहे थे वो दरवाजे के पास भागकर हिमा बेटा तु कहा गई थी!!
मां हम तो मन्दिर गए थे आज हमारा मन बहुत खराब था बिल्कुल मन नहीं लग रहा था इसलिए पास के कृष्ण मन्दिर जाकर आए हैं हम।
तु किसी को बताकर तो जाना था हमें कितनी चिंता है गई थी बेटा।
ताईजी हम बताना बुल गए थे हमारा मन बहुत खराब हो रहा था इसलिए हम निकल गए थे। हिमा पूजा थाली की तरफ देखकर हम सबके लिए प्रसाद भी लेकर आए हैं।
हिमा सबको प्रसाद देती है। फिर सबके पैर छूने लगती है। ईशा के पैर छूने के लिए वो झुकती है पर ईशा उसे गले लगा लेती है।
तुम हमारी छोटी बहन जैसी हो इसलिए तुम कभी अकेला मत समझना।
हिमा हां मैं सर हिला देती है।
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पूजा (kahanisangrah.in)