यक्ष का वरदान | Yaksh ka Vardan

मिथिला नगर में मनसुख नामक एक जुलाहा रहता था। एक दिन काम करते समय उसका करघा टूट गई।

करघा बनाने के लिए लकड़ी की आवश्यकता थी, इसलिए वह कुल्हाड़ी लेकर वन में गया और शीशम के सूखे पेड़ को काटने लगा।

उसी पेड़ पर एक यक्ष रहता था। अपने निवास को कटते देख उसने जुलाहे से कहा, इसे मत काटो यहां मेरा निवास स्थान है।

श्रीमान्! मैं एक गरीब असहाय जुलाहा हूं। धागा बुनते समय मेरा करघा टूट गया है। काफी भटकने और ढूंढने के बाद मुझे यह सूखा पेड़ मिला है। इसलिए आप मुझे इसे काटने की अनुमति दे। वरना मेरा परिवार भूख से मर जाएगा। मनसुख जुलाहे ने दिन भाव से कहा।

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जुलाहे की विनम्रता देख यक्ष द्रवित होते हुए बोला, मैं तुम्हारी विनम्रता और व्यवहारकुशलता से प्रसन्न हूं। तुम इस पेड़ को छोड़ दो और इसके बदले में कोई वर मांग लो।”

मै अपनी पत्नी से पूछकर उसकी और अपनी इच्छानुसार ही वर मांगूंगा। इसलिए आप मुझे कुछ पल के लिए घर जाने की अनुमति प्रदान करें। जुलाहे ने यक्ष से विनम्रतापूर्वक कहा।

ठीक है। अपनी पत्नी से सलाह करके आ जाओ। यक्ष ने कहा।

जुलाहा खुशी खुशी घर की ओर चला गया। रास्ते में उसका परिचित मित्र नाई मिल गया। जुलाई ने सारी बातें उसे बता दी। नाई ने सबकुछ सुनने के बाद जुलाई से कहा, “तुम उस यक्ष से राज पाट मांग लो। राजा बनकर तुम्हारा शेष जीवन सुख से कटेगा। तुम्हारे पास काफी धन होगा जिससे दान पुण्य करके तुम अपना परलोक भी सुधार लेना।”

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तुम ठीक कहते हो,लेकिन घर जाकर अपनी पत्नी की इच्छा पूछ लू। जुलाई ने कहा।

मित्र! ऐसी ग़लती भूलकर भी मत करना। गूढ़ विषयों पर स्त्रियों से मंत्रणा नहीं करनी चाहिए। नाई ने जुलाई से अपने मत से अवगत कराते हुए कहा।

क्षमा करना मित्र, लेकिन मैं अपनी पत्नी से पूछे बिना कोई काम नहीं करता। इसलिए मैं उसकी इच्छा अवश्य पूछूंगा। ऐसा कहकर जुलाहा अपने घर की ओर चल दिया।

घर आकर उसने सारी बात अपनी पत्नी को बता दी। यहां तक कि नाई की बात भी बता दी। इस पर जुलाई की पत्नी ने कहास किसी राज्य को पाकर उस पर शासन करना काफी कष्टकारी होता है। जिस राज्य को पाने के लिए एक भाई दूसरे भाई का दुश्मन हो जाता है, बेटा अपने बाप का वध करने को तैयार हो जाता है, ऐसे राज्य को पाने से क्या लाभ?”

“प्रिये! तुम ठीक कहती हो, लेकिन यह बताओ कि मैं यक्ष से आखिर क्या वर मांगू?”

“तुम यक्ष से दो अतिरिक्त हाथ तथा एक अतिरिक्त सिर मांग लो। इससे तुम दुगने वस्त्र बुन सकोगे तथा तुम्हारी आय भी दुगनी हो जाएगी और हम थोड़े ही दिनों में समृद्ध हो जाएंगे।”

अपनी स्त्री के कहे अनुसार जुलाई ने यक्ष के पास पहुंचकर उससे कहा, महाराज! मुझे ऐसा वरदान दीजिए जिससे मेरे चार हाथ और दो सिर हो जाए।

तथास्तु! यक्ष ने जुलाई को वरदान देते हुए कहा।

यक्ष के मुख से यह शब्द निकलते ही जुलाहा चार हाथ और दो सिर वाला हो गया। ऐसी स्थिति में जब वह अपने गांव लौटा तो लोगों ने उसे राक्षस समझकर गांव में नहीं घुसने दिया और लाठियों से पीट पीट कर मार डाला।

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धन्यवाद

कैसी लगी आपको यक्ष का वरदान जरूर बताएं।

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